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कवयित्री महादेवी वर्मा का जीवन परिचय, जन्म, कविता, मृत्यु, रचनाएँ
Mahadevi Verma (Poet) Biography, Books, Sahityik Parichay, Story, Poems, Essay In Hindi

महादेवी वर्मा छायावादी युग की प्रमुख कवयित्री मानी जाती हैं. आधुनिक हिंदी साहित्य में महादेवी वर्मा मीराबाई के नाम से प्रसिद्ध हुईं.

आधुनिक गीत काव्य में महादेवी वर्मा जी का स्थान सर्वोपरि रहा तथा उन्होंने एक गद्य लेखिका के रूप में भी अपनी ख्याति प्राप्त की.

कवयित्री महादेवी वर्मा जी का जीवन परिचय | Mahadevi Verma Story In Hindi

आधुनिक हिंदी साहित्य कविता में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाने वाली तथा सत्याग्रह आंदोलन के दौरान कवि सम्मलेन में प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने वाली महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च सन 1907 में होली वाले दिन फ़ररुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश के एक साहू परिवार में हुआ था.

बिंदु (Points)जानकारी (Information)
नाम (Name)महादेवी वर्मा
जन्म (Date of Birth)26/03/1907
आयु80 वर्ष
जन्म स्थान (Birth Place)फ़ररुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश
पिता का नाम (Father Name)गोविन्द प्रसाद वर्मा
माता का नाम (Mother Name)हेमरानी देवी
पति का नाम (Husband Name)नारायण वर्मा
पेशा (Occupation )लेखिका, कवयित्री
बच्चे (Children)ज्ञात नहीं
मृत्यु (Death)11/09/1987
मृत्यु स्थान (Death Place)इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश
भाई-बहन (Siblings)एक भाई, एक बहन
अवार्ड (Award)पद्म विभूषण

महादेवी वर्मा के पिता श्री गोविन्द प्रसाद वर्मा एक वकील थे और माता श्रीमती हेमरानी देवी थीं, जो एक साधारण कवयित्री थीं और श्री कृष्ण की अनन्य भक्त मानी जाती थीं.

इसी वजह से महादेवी वर्मा आगे चलकर कवयित्री बनी. इनके माता – पिता को शिक्षा का बहुत ज्ञान था.

महादेवी वर्मा साहित्यिक परिचय

पारिवारिक माहौल के कारण ही महादेवी जी को बचपन से ही कविता लिखने का शौक था. सात वर्ष की अल्पायु में ही महादेवी जी ने कवितायेँ लिखना शुरू कर दिया था. गोविन्द प्रसाद वर्मा के परिवार में दो सौ साल से कोई लड़की उत्पन्न नहीं हुई थी और होती थी तो उन्हें मार दिया जाता था.

महादेवी का जन्म होने से पिता गोविन्द प्रसाद जी की खुशियों का ठिकाना ही नहीं रहा.

ये परिवार की सबसे बड़ी अथवा सबसे लाडली पुत्री थीं. इनका जन्म माता रानी की कृपा से हुआ था. इसलिए इनके दादाजी ने उनका नाम महादेवी रखा था.

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इनके दो भाई एक बहिन थी.

महादेवी वर्मा जी एक प्रसिद्ध कवयित्री और एक सुविख्यात लेखिका तो थीं ही साथ ही वो एक समाज सुधारक भी थीं. उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया. साथ ही महादेवी वर्मा जी ने महिलाओं को समाज में उनका अधिकार दिलवाने की और समाज में उचित आदर सम्मान दिलवाने के लिए कई महत्वपूर्ण एवं क्रन्तिकारी कदम उठाये थे. ये आधुनिक काल की मीराबाई कहलाती थीं क्योंकि इनकी कविताओं में एक प्रेमी से बिछडने के कष्ट और बिरह, पीड़ा को भावात्मक तरीके से वर्णित किया गया है.

महादेवी वर्मा की शिक्षा

महादेवी जी की प्रारम्भिक शिक्षा इन्दौर में हुई और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वे सन 1919 में प्रयाग चली गयी थीं.

इसके बाद 9 वर्ष की अल्पायु में इनका विवाह स्वरूप नारायण प्रसाद जी से करा दिया गया था. जिसके कारण इनकी शिक्षा कुछ समय के लिए रुक गईं थी. विवाहोपरान्त महादेवी जी इलाहाबाद कॉलेज के छात्रावास में रहने लगीं थीं. 1921 ई. में महादेवी जी ने आठवीं कक्षा में अपने भारत वर्ष में प्रथम स्थान प्राप्त किया था तथा 1924 में भी इन्होने हाइस्कूल की परीक्षा में भी प्रथम स्थान प्राप्त किया, साथ ही 1928 ई.

में बी.ए. की परीक्षा एक गल्स कालेज से पास की थी.

1933 ई. में संस्कृत से एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की. इसके बाद इन्होने अपने काव्य जगत की शुरुआत की. कालेज के समय में इनकी मित्रता सुभद्रा कुमारी चौहान से हुई. जब 1933 ई. में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम॰ए॰ पास किया था. तभी इनकी दो कवितायें भी प्रकाशित हो चुकी थीं- नीहार अथवा रश्मि.

इस प्रकार इनका विद्यार्थी जीवन सफल रहा.

विवाह

महादेवी जी के पिता जी ने इनका विवाह बरेली के पास नबावगंज के एक गाँव के निवासी स्वरूप नारायण वर्मा से कर दिया था. नारायण जी उस समय 10 वीं के छात्र थे. महादेवी का विवाह जब हुआ था तव वे विवाह का मतलब भी नहीं समझती थीं. उनको ये भी पता नहीं था कि उनका विवाह हो रहा है.

महादेवी वर्मा के प्रमुख काव्य संग्रह | Mahadevi Verma Poems

  • दीपशिखा
  • नीरजा
  • सांध्यगीत
  • नीहार
  • रश्मि
  • प्रथम आयाम
  • अग्निरेखा
  • सप्तपर्ण

पुरस्कार | Mahadevi Verma Awards

महादेवी वर्मा जी को

  • पदम भूषण पुरस्कार
  • ज्ञानपीठ पुरस्कार
  • साहित्य अकादमी अनुदान पुरस्कार
  • सेकसरिया पुरस्कार
  • मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार आदि से सम्मानित किया गया था.

मृत्यु | Mahadevi Verma Death

आधुनिक हिंदी साहित्य में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाने वाली महादेवी जी ने अपना जीवन एक सन्यासी की तरह व्यतीत किया था.

सन 11 सितम्बर 1987 ई . में इलाहाबाद उत्तर – प्रदेश में महादेवी वर्मा जी का निधन हो गया था.

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